आज भी सबकी जुबान पर रहते हैं नवाजुद्दीन सिद्दिकी के ये धांसू डायलॉग्
भगवान के भरोसे मत बैठिए क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा होमांझी- द म
पैदा तो मैं भी शरीफ हुआ था, पर शराफत से अपनी कभी नहीं बनी किक
खेल कोई भी हो हम गरीब लोग या तो जीतते हैं या सीखते हैं हारते कभी नहींफ
धंधे में दो चीजों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए एक तो खुद से पैदा होने
मेरी अम्मी कहती है कि कभी कभी गलत ट्रेन भी सही जगह पहुंचा देती हैद लं
जीत में तो हर आदमी साथ देता है साथी तो वो है जो हार में भी साथ देफ्रीक
जिसे जिंदगी की परवाह होती है मां कसम, मरने को मजा उसी को आता है किक
तोहार को इतना चाहते है, इतना चाहते है, इतना चाहते है, इतना चाहते है, कित
मैं मौत को छूकर टक से वापस आ सकता हूं'किक
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